“वो कमाल हैं”: ट्रम्प ने पाकिस्तान पीएम, आसिम मुनीर की तारीफ की - Trump Praise Asim Munir on GAZA Support
विश्व मंच पर अमेरिका और मध्य पूर्व की राजनीति इन दिनों एक नए गुटबद्ध बयानबाजी और रणनीति के चक्र में घूम रही है। इसी क्रम में, अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ़ और सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की खुलेआम तारीफ की है, उन्हें “incredible” कहकर संबोधित किया, क्योंकि उन्होंने ट्रम्प की नई गैज़ा शांति योजना का समर्थन किया है। Telegraph India+3www.ndtv.com+3Hindustan Times+3
यह बयान एक ऐसी पृष्ठभूमि पर आया है जहाँ मध्य पूर्व में संघर्ष तीव्र है, और अमेरिका कोशिश कर रहा है कि मुस्लिम-देशों को इस शांति प्रस्ताव के गठजोड़े में लाया जाए। ट्रम्प का यह कदम न केवल कूटनीतिक खेल का हिस्सा है, बल्कि पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों में एक नई हवा फूंकने का संकेत भी माना जा रहा है।
ट्रम्प की बातें और पहले से जुड़ी घटनाएँ
ट्रम्प ने व्हाइट हाउस प्रेस ब्रीफिंग में कहा:
“The prime minister and field marshal of Pakistan, they were with us right from the beginning. They just put out a statement that they fully believe in this pact … they back this 100 %.” Hindustan Times+1
उसी दौरान उन्होंने अरबी और मुस्लिम देशों के नेताओं को भी धन्यवाद दिया, जैसे सऊदी अरब, कतर, यूएई, जॉर्डन, तुर्की, इंडोनेशिया आदि, कि उन्होंने शांति प्रस्ताव बनाने में सहयोग दिया। Hindustan Times+1
उनका यह बयान विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि उन्होंने कहा — जैसे ही वह प्रेस ब्रीफिंग से बाहर आ रहे थे — “इतना बड़ा नोटिस” पीएम और फील्ड मार्शल की ओर से पहुंचा कि वे इस प्रस्ताव का 100 % समर्थन करते हैं। Telegraph India+2www.ndtv.com+2
इससे पहले, शहबाज शरीफ़ ने ट्विटर (या पूर्व में “X”) पर इस शांति प्रस्ताव का स्वागत किया और कहा कि यह आवश्यक है कि इस क्षेत्र में स्थिरता और आर्थिक विकास हो। Hindustan Times+1
यूएस और पाकिस्तान की यह खुली तारीफ इस बात को दर्शाती है कि ट्रम्प इस शांति प्रस्ताव को मुस्लिम विश्व में वैधता देना चाहता है, और पाकिस्तान को इस भूमिका में एक मित्रवत मुल्क के रूप में प्रदर्शित करना चाहता है। India Today+2Telegraph India+2
ट्रम्प की 20-बिंदु गैज़ा शांति योजना — एक संक्षिप्त अवलोकन
ट्रम्प ने सोमवार को “Comprehensive Plan to End the Gaza Conflict” नामक 20-बिंदु प्रस्ताव पेश किया, जिसे उन्होंने व्यापक परामर्श के बाद तैयार किया कहा। Telegraph India+2Hindustan Times+2
इस योजना के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं (संक्षिप्त रूप में):
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यदि दोनों पक्ष — इस्लामिक संगठन हमास और राज्य इज़राइल — प्रस्ताव स्वीकार करें, तो युद्ध तुरंत समाप्त हो जाएगा। Hindustan Times+2Telegraph India+2
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बंदूकबाजियों (मिलिटेंट समूह) को निष्क्रिय करना — हमास को सशस्त्र गतिविधियों से मुक्त करना। www.ndtv.com+2Telegraph India+2
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सभी बंधकों (hostages) और बंदियों का एक्सचेंज 72 घंटों के भीतर। Hindustan Times+2India Today+2
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इस्राइली सेनाएं निर्धारित रेखा तक पीछे हटेंगी। युद्ध रेखाएँ “freeze” होंगी (अस्थायी बंदोबस्त)। Telegraph India+2Hindustan Times+2
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गाज़ा का पुनर्निर्माण, वहां मानवीय सहायता पहुँचाना, मूल ढांचे को बहाल करना। Telegraph India+2Hindustan Times+2
हालाँकि, इस योजना की सफलता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगी कि हमास इसे स्वीकार करे या नहीं। ट्रम्प तथा इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि यदि हमास प्रस्ताव को नकारेगा, तो इज़राइल “काम पूरा कर देगा।” The Guardian+2Financial Times+2
पाकिस्तान का “हाथ मिलाना” — राजनीति की नई चाल?
पाकिस्तान ने पारंपरिक रूप से लंबे समय से फिलिस्तीनी पक्ष का समर्थन किया है, और यह कदम उसी दिशा में आगे बढ़ने जैसा है। India Today+3Wikipedia+3Rediff+3
लेकिन इस बार यह समर्थन इतनी खुली और तुरंत प्रतिक्रिया के साथ सामने आया, कि विश्लेषक इसे एक राजनीतिक सिग्नल भी मान रहे हैं:
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अमेरिका के साथ संबंधों में सुधार
ट्रम्प की तारीफ से पता चलता है कि पाकिस्तान अमेरिका की नजरों में फिर से दोस्ताना मुल्क बनना चाहता है। India Today+2Telegraph India+2 -
मुस्लिम दुनिया में भूमिका बढ़ाना
इस्लामी देशों में पाकिस्तान को मध्यस्थता या समर्थन देने वाला देश दिखाना — इसेनेशनल ब्रांडिंग में काम आ सकता है। -
आंतरिक और बाह्य दबावों का संतुलन
पाकिस्तान के अंदर राजनीतिक दबाव हैं कि विदेश नीति में मुस्लिम विचारधारा और समर्थन दिखाया जाए। इस बयान ने उन तत्वों को तुष्ट करने का भी संकेत दिया हो सकता है। -
दक्षिण एशिया में भारत की प्रतिक्रिया
इस कदम का भारत पर क्या असर होगा, यह देखना होगा। भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंध हैं, और अमेरिका-पाक संबंधों में यह निकटता भारत के लिए चिंता का विषय हो सकती है।
पाकिस्तान की यह आपसी चाल और अमेरिका की स्वीकार्यता एक नए राजनयिक सर्किट को जन्म दे सकती है।
इस तारीफ की सीमाएँ और जटिलताएँ
हालाँकि ट्रम्प की तारीफ सार्वजनिक और जोरदार है, लेकिन इस पारस्परिक आस्वीकृति में कई चुनौतियाँ और सवाल बने हैं:
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हमास का मानना और भागीदारी
यदि हमास इस प्रस्ताव को स्वीकार न करे, तो यह योजना लागू नहीं हो पाएगी। मध्य पूर्व में अशांति और विघटन शक्तियाँ अभी भी बहुत मजबूत हैं। -
अमल करने की जटिलता
20 बिंदुओं को लागू करना आसान नहीं होगा — सैन्य वापसी, पुनर्निर्माण, सुरक्षा व्यवस्था आदि में असमंजस और घमासान हो सकते हैं। -
विश्व समुदाय की प्रतिक्रिया
यूरोपीय देशों, संयुक्त राष्ट्र, अरब लीग और अन्य मुस्लिम देशों का क्या रुख होगा? यदि कुछ देश इस प्रस्ताव को मध्य-पक्षीय नहीं मानें, तो यह विवाद का विषय बन सकता है। -
आपूर्ति श्रृंखलाएँ और आर्थिक निवेश
गाज़ा के पुनर्निर्माण के लिए कौन निवेश करेगा? कौन सुरक्षा देगा? संसाधन और प्रबंधन कैसे होंगे? -
भविष्य की स्थिरता
शांति प्रस्ताव सफल हो गया तो भी, स्थानीय प्रशासन और नागरिक जीवन को स्थिर करना हमेशा से ही चुनौतिपूर्ण रहा है।
निष्कर्ष: एक राजनीति-तथा शांति का नज़रिया
ट्रम्प की तारीफ — “incredible” कहकर — एक संकेत है कि पाकिस्तान को इस वैश्विक शांति प्रस्ताव में शामिल कर एक मजबूत संदेश देना है। इसके पीछे न सिर्फ मध्य पूर्व की राजनीति है, बल्कि दक्षिण एशिया और अमेरिकी रणनीतिक हित भी हैं।
पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव के समर्थन के साथ एक साहसिक कूटनीतिक कदम उठाया है, लेकिन इसका पूरा अर्थ और परिणाम आने वाले समय में ही तय होगा। यह मौका है — यदि योजना सफल होती है, तो गाज़ा को राहत मिल सकती है, युद्ध रुक सकता है, और पुनर्निर्माण की राह खुल सकती है। लेकिन असफलता की संभावना भी उतनी ही बड़ी है।
इस तरह की राजनयिक बातचीत में शब्दों का महत्व बहुत ज़्यादा होता है — “incredible” जैसी तारीफें केवल भावनात्मक संदेश नहीं, बल्कि संकेत भी हैं कि अगले कदम कहाँ हो सकते हैं।
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